रोहिंग्या समस्या और समाधान
Keywords:
Refugees, Minorities, citizenship, Rights, education, justiceAbstract
रोहिंग्या समस्या वर्तमान औद्योगिकरण एवं वैश्वीकरण के युग में एक ज्वलंत शरणार्थी समस्या बनकर उभरी है। जिसने ना सिर्फ संबंधित राष्ट्रों को, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी व्यापक रूप से प्रभावित किया है। रोहिंग्या शरणार्थी समस्या एवं विश्व के सर्वाधिक उत्पीड़ित मानवीय समस्या के कारण राष्ट्रों की विदेश नीतियां प्रभावित हुई है। रोहिंग्या नागरिकता से रिक्त अल्पसंख्यक मानव समुदाय है। नागरिकता रहित मानव समुदाय का किसी भी राष्ट्र में कोई मूल्य नहीं होता है। क्योंकि वह अपने जीवन के लिए मानवीय अधिकारों को, राष्ट्र कि नागरिकता के अभाव में प्राप्त नहीं कर सकता है। वर्तमान वैश्विक उदारीकरण एवं लोकतांत्रिक युग में नागरिकता और अधिकारों से वंचित, उत्पीड़ित व्यापक मानव समुदाय का होना विश्व की कुंठित मानसिकता और विकसित मानव सभ्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। जिस प्रकार ज्ञान के अभाव के कारण आदिम समय में मानव प्रजाति बर्बर थी। उसी प्रकार आज नागरिकता से रिक्त एवं अधिकारों से रहित रोहिंग्या समुदाय को संबंधित राष्ट्रों के लिए एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति, सुरक्षा, संस्कृति और सभ्यता के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है, तो इसका कारण इस अल्पसंख्यक समुदाय को ज्ञान, शिक्षा और अधिकार से वंचित रखा जाना ही है। अतः रोहिंग्या शरणार्थी समस्या का स्थाई समाधान के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक, सामाजिक, न्यायिक संगठनों एवं मानव अधिकार संगठनों द्वारा व्यापक, निरंतर और ठोस प्रयास की आवश्यकता है। इसके साथ ही संबंधित राष्ट्रों द्वारा अपने देश के संविधान के नागरिकता कानून में, स्थाई शरणार्थियों के संबंध में, आंशिक संशोधन कर इस समस्या को हल किया जा सकता है।
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Copyright (c) 2022 Parwat Kumar Krishna , Dr. Sandhya Jaiswal

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